विवाह योग

विवाह योग

विवाह योग – आज सावित्री जी के घर खूब धूमधाम थी। नागेश जी खुश थे कि उनकी सुंदर सुशील कन्या का विवाह आज हो ही जाएगा। लड़के-वाले सुकन्या को देखने आ रहे थे। कोई भी लड़का इसे देख कर ना नहीं करेगा गौर- वर्ण, मृग- नयनी कह कर सभी सुकन्या को देख कर यही कहते की कोई भी   इसका माँग कर ले जाएगा। सुकन्या का बहुत समय से नहीं हो पा रहा था। नागेश और सावित्री  अपनी सुशिक्षित, बेटी के लिए, विवाह समय पर ना होने के कारण पंडित जी को सुकन्या की कुंडली का योग दिखाने के लिए गए। पहले से पता चल गया की सुकन्या का विवाह समय अधिक उम्र में है। सावित्री इसी कारण से बीमार रहने लगी। सुकन्या, सुंदर थी सुशील थी पर लड़के वाले बता कर भी आते नहीं थे देखने। कभी बात बनती थी तो कुंडली ना मिल पाने के कारण विवाह होता ही नहीं था।

विवाह योग
विवाह योग

एक दिन अचानक पंडित जी नागेश जी के घर एक अच्छा रिश्ता ले कर आए। पंडित जी ने समय- मिलने मिलाने का तय करवाया। कुछ दिनों बाद ही लड़के वाले आए, पंडित जी के कहने के अनुसार और सुकेश और सुकन्या दोनों का मुख दक्षिण- दिशा की ओर ना हो। विवाह निश्चित हुआ और जाते- जाते सुकेश के पिता ने सुकन्या को आशीर्वाद दिया और सुकेश को सुकन्या की प्लेट से बर्फी तोड़ कर खाने को कहा। इसके साथ ही नागेश और सविता जी से छोटा सा उपाय बताया। कुछ दिनों बाद पता चला कि सुकन्या के विवाह सुख पूर्वक हो गया।

संतान विवाह योग्य हो और विवाह ना हो पाने का दुख केवल माता – पिता को होता है।  इस कारण से कुंडली जान ले अगर की किन दशाओं में कुंडली में विवाह योग होता है।

सप्तम भाव का ग्रह विवाह का कारक होता है,सप्तम भाव का स्वामी शुभ- ग्रह हो या अशुभ ग्रह यदि अपने भाव में ही स्थित होकर  या किसी अन्य में स्थित होकर अपने भाव,को देख रहा हो और सप्तम भाव पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव या दृष्टि नहीं तो जातक का विवाह अवश्य होता है।

सप्तम मान में सम राशि हो,या सप्तमेश और शुक्र भी सम राशि में स्थित हो या सप्तमेष बली हो तो विवाह होता है। सप्तम भाव में कोई ना किसी पाप ग्रह कि दृष्टि ना हो व सप्तमेश बली हो तो विवाह अवश्य हो।

यदि दुसरे सातवें और बारहवें भाव के स्वामी केंद्र या त्रिकोण में हो और गुरु दृष्ट हो तो विवाह अवश्य होता है। कुंडली में सप्तमेश से दूसरे सातवें और ग्यारहवें भाव में सौम्य ग्रह स्थित हो तो स्त्री सुख अवश्य मिलता है। शुक्र द्विस्वभाव राशि में होने पर विवाह अवश्य होता है।

विवाह में होने वाली बाधा-

सप्तम में बुध और शुक्र दोनों हो तो विवाह के प्रस्ताव आते रहते है, पर विवाह अधेड़ उम्र में होता है।

  1. सप्तमेश की दशा- अन्तर्दशा में विवाह- (Marriage in the Mahadasha-Antardasha of Seventh Lord)
    जब कुण्डली के योग विवाह की संभावनाएं बना रहे हों, तथा व्यक्ति की ग्रह दशा में सप्तमेश का संबन्ध शुक्र से हो तों इस अवधि में विवाह होता है. इसके अलावा जब सप्तमेश जब द्वितीयेश के साथ ग्रह दशा में संबन्ध बना रहे हों उस स्थिति में भी विवाह होने के योग बनते है.2. सप्तमेश में नवमेश की दशा- अन्तर्द्शा में विवाह (Marriage in the Mahadasha-Antardasha of Ninth Lord in Seventh Lord)
    ग्रह दशा का संबन्ध जब सप्तमेश व नवमेश का आ रहा हों तथा ये दोनों जन्म कुण्डली में पंचमेश से भी संबन्ध बनाते हों तो इस ग्रह दशा में प्रेम विवाह होने की संभावनाएं बनती है.3. सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की दशा में विवाह (Marriage in the Dasha of the planets in the seventh house)
    सप्तम भाव में जो ग्रह स्थित हो या उनसे पूर्ण दृष्टि संबन्ध बना रहे हों, उन सभी ग्रहों की दशा – अन्तर्दशा में विवाह हो सकता है. इसके अलावा निम्न योगों में विवाह होने की संभावनाएं बनती है:

समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की इच्छा के कारण माता-पिता व भावी वर-वधू भी चाहते है कि अनुकुल समय पर ही विवाह हो जायें. कुण्डली में विवाह विलम्ब से होने के योग होने पर विवाह की बात बार-बार प्रयास करने पर भी कहीं बनती नहीं है. इस प्रकार की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह के उपाय करने हितकारी रहते है. उपाय करने से शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है. तथा विवाह के मार्ग की बाधाएं दूर होती है.

उपाय करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें (Precautions while doing Jyotish remedies)

  • किसी भी उपाय को करते समय, व्यक्ति के मन में यही विचार होना चाहिए, कि वह जो भी उपाय कर रहा है, वह ईश्वरीय कृ्पा से अवश्य ही शुभ फल देगा.
  • सभी उपाय पूर्णत: सात्विक है तथा इनसे किसी के अहित करने का विचार नहीं है.
  • उपाय करते समय उपाय पर होने वाले व्ययों को लेकर चिन्तित नहीं होना चाहिए.
  • उपाय से संबन्धित गोपनीयता रखना हितकारी होता है.
  • यह मान कर चलना चाहिए, कि श्रद्धा व विश्वास से सभी कामनाएं पूर्ण होती है.

आईये शीघ्र विवाह के उपायों को समझने का प्रयास करें (Remedies for a late marriage)

  1. हल्दी के प्रयोग से उपाय
    विवाह योग लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है.
  2. पीला वस्त्र धारण करना
    ऎसे व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए.
  3. वृ्द्धो का सम्मान करना
    उपाय करने वाले व्यक्ति को कभी भी अपने से बडों व वृ्द्धों का अपमान नहीं करना चाहिए.
  4. गाय को रोटी देना
    जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोडा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है.
  5. शीघ्र विवाह प्रयोग
    इसके अलावा शीघ्र विवाह के लिये एक प्रयोग भी किया जा सकता है. यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को किया जाता है. इस प्रयोग में गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये. यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए.

 

उपाय

  • गुरुवार को वट, वृक्ष,पीपल, केले, वृक्ष, पर जल अर्पित, करने में विवाह बाधा दूर होती है।
  • पूर्णिमा को वट-वृक्ष की 108 परिक्रमा देने से भी विवाह बाधा दूर होती है।
  • कन्या के विवाह कि चर्चा करने उसके घर जब लोग जाए तो कन्या खुले बाल कर लाल वस्त्र
  • धारण कर हँसते हुए, उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे। चर्चा सफल होगी।

 

  1. गुरुवार को वट, वृक्ष,पीपल, केले, वृक्ष, पर जल अर्पित, करने में विवाह बाधा दूर होती है।
  2. पूर्णिमा को वट-वृक्ष की 108 परिक्रमा देने से भी विवाह बाधा दूर होती है।
  3. कन्या के विवाह कि चर्चा करने उसके घर जब लोग जाए तो कन्या खुले बाल कर लाल वस्त्र
  4. धारण कर हँसते हुए, उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे। चर्चा सफल होगी|

 

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