पितृ दोष दूर करने के उपाय

पितृ दोष दूर करने के उपाय

पितृदोष के लक्षण, पितृदोष से मुक्ति के उपाय, पितृ दोष निवारण मंत्र- धर्म महज पूजा पाठ करने का तरीका भर नहीं है| यह सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों की सीख भी देता है| यद्यपि इन सीखों का क्रम अब टूटने लगा है| नई सोच के साथ नई विचारधाराएँ पनप रही  हैं| तथापि पूर्वजों की सिखाए हुए संस्कारों की अवहेलनाओं के दुष्परिणाम भुगतने के बाद एक बार पीछे मुड़कर अवश्य देखते हैं या खुद से पूछते-मुझसे कहाँ भूल हुई| खुद से हुई छोटी-बड़ी भूलों के कारण, ग्रह नक्षत्रों के कारण कई बार इंसान पितृ दोष से घिर जाता है| इसका निवारण जानने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि पितृ दोष क्यों होते हैं|

पितृ दोष दूर करने के उपाय
पितृ दोष दूर करने के उपाय

पितृ दोष के कारण

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा चंद्रमा जब क्रूर ग्रहों के घर में बैठे होते हैं तब जातक को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है|
  • यदि किसी कारणवश श्राद्ध कर्म उचित ढंग से न किया जाए तो पूर्वजों की आत्मा अतृप्त रह जाती है|
  • माता-पिता को प्रताड़ित करना और उसी अवस्था में मृत्यु हो जाना| इस परिस्थिति में पुत्र तो पितृ दोष से जूझता ही है पोते पड़पोते भी अनेक मुश्किलों का सामना करते हैं| यह तब तक चलता है जब तक वंश में से कोई उचित तरीके से पुनः श्राद्ध और तर्पण न कर दे|
  • धर्म शास्त्रों मे यह भी कहा गया है कि जब तक पुत्र अंतिम संस्कार न करे और पिंड दान न करे तब तक आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती| यद्यपि तर्क की कसौटी पर यह सत्य प्रतीत नहीं होता| परंतु ऐसा कहे जाने के पीछे ठोस कारण यह है कि पितृसत्तात्मक समाज में संपत्ति का उत्तराधिकारी पुत्र ही होता है| पुराने जमाने में पुत्र न होने की स्थिति में संपत्ति राजसात कर लिया जाता था, पुत्री चूंकि दूर गाँव ब्याही जाती थी, दूसरे का घर आँगन संभाल रही होती थी, इसलिए उसे इन बातों से दूर ही रखा गया| यहाँ तक कि सूतक में भी तीन और तेरह का फर्क रखा गया| अब पुत्र हो भी जाए और वह खुद भोपाल के सीरियल किलर उदयन की तरह माता-पिता की हत्या कर दे तो ऐसा पुत्र मुक्ति का कारक नहीं बन सकता| बल्कि ग्रंथो में यह भी वर्णित है कि सदाचारी, माता-पिता का आदर करने वाला पुत्र के द्वारा ही मृयोपरांत सद्गति प्राप्त होती है|
  • दुर्घटना, बीमारी के कारण गुमनाम मौत के बाद व्यक्ति का अंतिम संस्कार पहचान नहीं हो पाने के कारण नहीं हो पाता है| उस इंसान की आत्मा तब तक भटकती रहती है जब तक उसका पिंडदान नहीं कर दिया जाता है|

पितृ दोष के लक्षण

पितृ दोष का यह अर्थ कतई नहीं है कि इस जन्म में आपने माता-पिता को प्रताड़ित  किया और आप पितृ दोष से ग्रस्त हो गए| बल्कि इसका आशय यह है कि माता-पिता की अवहेलना या प्रताड़णा, पूर्व के किसी जन्म में आपने किया हो, अथवा आपके पूर्वजों में से किसी ने किया हो तो दोष आपकी कुंडली में भी नजर आएगा| स्मरण रखें, भारतीय धर्म शास्त्र पूर्व जन्म के सिद्धान्त पर आधारित है| अर्थात आत्मा अजर-अमर है| यह कभी समाप्त नहीं होती| जिस प्रकार पुराने वस्त्र त्याग कर हम नूतन वस्त्र धारण करते हैं उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर को त्याग नए शरीर को धरण करती है| परंतु उसके कर्म जन्म-जन्म तक साथ नहीं छोडते| यहाँ मात्रात्मक दृष्टि से आपने जिस अनुपात में अच्छे कर्म किए होंगे उसका अच्छा परिणाम और बुरे कर्मो का बुरा परिणाम भोगना पड़ता है| आपने ऐसे कई अमीरों को देखा होगा जिनके जीवन मे सब सुख सुविधा है परंतु बीमारी के कारण उसका भोग नहीं कर पाते, या उनके सुख भोगने वाली संतान नहीं है| या उन्ही के सामने उनके धन का दुरुपयोग कोई और का रहा है|

ऐसे ही अनेक दोषो में से एक है पुत्र दोष, जिसके लक्षण इस प्रकार हैं –

  • पितृ दोष से पीड़ित जातक निःसंतान रहता है| संतान हो भी जाए तो अधिक दिन तक जीवित नहीं रहती|
  • वह स्वभाव से अवसादग्रस्त चिड़चिड़ा और क्रोधी होता है|
  • विवाह में अत्यधिक समस्या आती है| शादी हो भी जाए तो पति-पत्नी मे नहीं बनती|
  • परिवार में एक के बाद एक बीमारी लगी ही रहती है|
  • नौकरी में अक्सर अपने बड़े अधिकारियों के कोप का बनना पड़ता है|
  • ऐसे लोगों की अपने पिता से ज्येष्ठ पुत्र से कभी नहीं बनती|

पितृदोष से मुक्ति के उपाय

  • सोमवती अमास्या को एक विशेष क्रिया से पितृ दोष से मुक्ति पाई जाई सकती है| इस दिन नहा धोकर किसी पुराने पीपल के पेड़ के पास दो जनेऊ, मिठाई लेकर जाएँ| एक जनेऊ पीपल को अर्पित करें, पुनः दूसरी जनेऊ विष्णु देवता का स्मरण करते हुए पीपल में ही अर्पित करें| अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 जाप करते हुए इतनी ही संख्या में पीपल की परिक्रमा करें| परिक्रमा पूर्ण होने के उपरांत विष्णु देवता से पूर्व जन्म मे की गई गलती के लिए क्षमा याचना करें एवम दोष मुक्ति हेतु प्रार्थना करें|
  • चावल और घृत मिलाकर लड्डू बना लें तथा मछली और कौओं को पितृ पक्ष में खिलाएँ|
  • विधिवत श्राद्ध करें, यदि आर्थिक स्थिति अच्छी न हो तो केवल एक ब्रामहन को भोजन करवाने से काम चल सकता है अथवा फल, गुड, सब्जी आटा आदि दान कर दें|
  • योग्य विद्वान, सदाचारी ब्रामहण को मुट्ठी भर काला तिल दान करने भी पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है|
  • सूर्य को नित्य जल दें, तथा दोष मुक्ति हेतु उनसे प्रार्थना करें|
  • कुंडली में पितृ दोष के योग बन रहे हों तो आवास के दक्षिण दिशा में दिवंगत परिजन का चित्र लगाएँ, नित्य फूलों की माला चढ़ाएँ तथा अगरबत्ती दिखाकर उनसे संवाद करें| अपनी बात बोलकर कहें| मान्यता है भगवान से अपनी कामना मन ही मन तथा पितरों से अपनी कामना बोलकर कहनी चाहिए| पितराइनों में माता सबसे जल्दी सुनती है, संतान को कष्ट में देख स्वप्न में साथ होने का आभास देती है| जागने पर आसीम शांति का बोध होता है| ,
  • महामृत्युंजय मंत्र, नाग स्तोत्र, नवग्रह स्तोत्र पितृ स्तोत्र इनमे से कोई एक नित्य पाठ करें|

 

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