नाड़ी दोष निवारण उपाय

नाड़ी दोष निवारण उपाय

सबसे पहले हम आपको बता दे कि भारतीय ज्योतिष के अंतर्गत नाड़ी का निर्धारण जन्म नक्षत्र से किया जाता है। जैसे का हर नक्षत्र में चार चरण होते हैं और 9 नक्षत्रों की एक नाड़ी मानी गई है। जन्म  नक्षत्र के आधार पर ही नाडियों को तीन भाग में बाटा गया है, जैसे कि आदि नाड़ी, मध्य नाड़ी और अन्त्य नाड़ी।

नाड़ी दोष निवारण उपाय
नाड़ी दोष निवारण उपाय

नाड़ी दोष जैसे विषय पर बात की जाये तो इसका जिक्र आते ही सबका ध्यान सबसे ज्यादा शादी-विवाह मे कुंडली मिलाप के समय लड़का-लड़की की नाड़ी पर जाता है कि दोनों की नाड़ी एक है या अलग।  इसके पीछे एक समान्य धारणा मानी गई है की यदि वर और कन्या की नाड़ी एक है, दोनों का जन्म नक्षत्र एक नाड़ी मे आता है तो ये विवाह सही नहीं माना जाता क्यूकी यदि इसमे शादी की जाये तो आदि नाड़ी से पति की मृत्यु की संभावना होती है और मध्य नाड़ी से कन्या मृत्यु की संभावना होती है। यही कारण है की नाड़ी दोष को वर्जित माना जाता है, ताकि विवाह के बाद वर-वधू के जीवन मे कोई समस्या ना आए।

बात ये भी आती है की आखिर कुंडली मिलाकर नाड़ी देखना क्यू जरूरी है! इसके जवाब मे ज्योतिषशास्त्र का कहना होता है की कुंडली मिलान से पता चल जाता है की वर-वधू के बीच आगे सुखमय वैवाहिक जीवन चलेगा या नहीं। यही दोनों के बीच वो लक्ष्ण विद्यमान है या नहीं, क्यूकी बार कुंडली मे दोनों के बीच तलाक या वैध्वय का दोष पाया जाता है, जोकि मांगलिक दोष, पित्र दोष या काल सर्प दोष जैसे किसी दोष के होने की वजह से हो जाता है। ऐसे मे अगर वर-वधू के बीच अधिक गुण मिल भी जाये तो उसका कोई औचित नहीं रह जाता है। इन सबके अलावा कुंडली के माध्यम से दोनों के बीच संतान उत्पत्ति के योग, दोनों पक्षों के अच्छे स्वास्थय व परस्पर शारीरिक तथा मानसिक सामंजस्य के योग को भी देखा जाता है।

कई बार ऐसा देखा गया है की यदि वर-वदू के बीच 25-30 गुण भी मिल रहे हो पर कुंडली सही न मिलाई जाये यानि कुंडली मिलाते हुए उसके कुछ अहम पहलू का न देखा जाये तो शादी के बाद पति-पत्नी के बीच तलाक तक नौबत आ जाती है, फिर उसकी वजह से कोर्ट-कचरी और मुकद्दमें-बाजी मे दोनों फस जाते है। कुंडली न मिलाने का बुरा असर ये भी देखा गया है कि अगर एक व्यक्ति कि कुंडली मे मंगल काफी मजबूत है, तो वह व्यक्ति काफी तेज व उत्साह से भरा होता है। ऐसे मे जिसका मंगल कमजोर होता है वो व्यक्ति उसके विपरीत होता है। अब ऐसे दोनों की शादी करा दी जाये तो कुंडली मे दिखने वाला फर्क शादीसुदा जीवन पर काफी बुरा असर डालता है और इस प्रकार की शादी फिर ज्यादा समय चल नहीं पाती।

कुंडली मिलाप के समय यदि वर-वधू की राशि अगर एक होती भी है तो नक्षत्र अलग होने चाहिए। अगर नक्षत्र एक हो भी जाये तो फिर चरण अलग होने चाहिए। ऐसा होने से नाड़ी दोष खुद समाप्त हो जाता है। दूसरी बात की शुक्र बृहस्पति अथवा बुद्ध अगर एक राशि के स्वामी होते है तब नाड़ी दोष नही होता है। आम तौर पर वर-वधू के बीच इस नाड़ी दोष को समाप्त करने के लिए संकल्प करके महामृत्युंजय जप द्वारा और ब्राह्मणो को स्वर्ण आदि की दक्षिणा देकर दोष को खतम किया जाता है। इसके अलावा सालगिराह के दिन अपने वज़न के बराबर अन्न दान देने व ब्राह्मण को भोजन के साथ वस्त्र दान करने से भी इस दोष को खतम किया जा सकता है। वर-वधू दोनों मे से जिसके मे भी मारकेश की दशा चल रही हो उसे दशनाथ का उपाय दशाकाल तक करना चाहिए। इतने सारे बताए उपाय को करके कुंडली मे अगर नाड़ी दोष बनता है तो उसे समाप्त किया जा सकता है।

पूजा-पाठ द्वारा भी नाड़ी दोष को खतम करने का तरीका ज्योतिषशास्त्र मे बताया गया गई। जो लोग नाड़ी दोष के बावजूद भी शादी करने की जिद पर अड़े होते है वो लोग इस पूजा को कर सकते है। इसके लिए सोने का सांप बनवाकर, उसकी पूजा करने के बाद  महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। जप हो जाने के बाद व्यक्ति को अपनी योग्यता व क्षमता के अनुसार सोना, गाय, वस्त्र अथवा अन्न का दान देना चाहिए। इसके उपरांत वो लोग नाड़ी दोष को शांत कर अपना विवाह कर सकते है।

वैसे आज arrange marriage के अलावा लव marriage का भी चलना आ चुका है। दोनों ही एक स्तर पर चल रही है। पर लव मैरेज मे व्यक्ति इन गुण और कुंडली मिलाप की परंपरा से थोड़ा अछूता रह जाता है तो घर वालों की तरफ से देखे गए रिश्ते मे इन तमाम बातों का ध्यान रखा जाता है। तो यकीनन ऊपर बताई बातों को पढ़कर आप कुंडली दोष के बारे मे कुछ जन-समझ पाये होंगे, जो आपके लिए मददगार भी साबित हो सकता है।

 

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