अंगारक योग
घर- घर की कहानी हो गई है, आज रिश्ते- जुड़ते है, कल टूट जाते है। हम जान कर भी अनजान बने रहते है। कुछ कारणों का निदान समय पर हो जाए, तब ही ठीक रहता है। मंगल एक उर्जावान ग्रह है, इसकी उर्जा इतनी है कि, इससे क्षति और पीड़ा, सर्वाधिक होती है। यही उर्जा दोष का कारण बनती है। जातक की कुंडली में अगर यह योग होता है। इस योग का नाम है, अंगकारक जो कुंडली दोष होता है।
अंगारक योग प्रभाव
सबसे ज्यादा घातक प्रभाव यह पति – पत्नी के संबंधो पर दिखाई देता है। गृहस्थ जीवन में वाद- विवाद, पति-पत्नी का रुग्ण रहना, वैधव्य योग, कौटूम्बिन- अशांति,आदि, अशुभ फल प्राप्त होना संभव होता है। पति – पत्नी के कारण ग्रह और शुक्र,भी कुंडली में पाप पीड़ित या नीच होता है। कुंडली में राशिगत ग्रहों के नीच होने के कारण,ग्रह अस्त होता है। ऐसे में मामला और गंभीर हो जाता है। इसके साथ ग्रहस्थ – जीवन में वाद – विवाद का रूप धारण कर लेता है।
ग्रहों की स्थिति ज्यतिष कारण
जातक की कुंडली में जब राहू और मंगल एक साथ बैठ जाए,तब अंगकारक दोष, होता है। यह और भी कई तरीकों से कुंडली में दिखाई देता है, जब राहू और मंगल दोनों ही शत्रु राशि के हो।
उस स्थिति के कारण जातक को मूल्य- तुल्य कष्ट उठाना पड़ सकता है। इस योग के कारण जीवन में बहुत दुर्घटनाए होती है, जातक परेशान रहता है। जिस भाव मे कुंडली का योग उसी भाव के कारण रहता है।
राहू में मंगल से समय अंतर के कारण यह योग और दोष दृष्टिगोचर होता है। जिससे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
मंगल की नकारात्मक उर्जा के कारण, परेशानियों को भुगतना पड़ सकता है।
कई बार रोगी को दवाईयां लगना बंद हो जाती है और कारण समझ नहीं आता।कई बार व्यक्ति का व्यापार चौपट हो जाता है, नौकरी चली जाती है, और कारण समझ नहीं आता। ऐसे में ज्योतिष से परामर्श कर लेना चाहिए।
तांत्रिक व ज्योतिष कारण
कुछ नक्षत्र कारणों से ज्योतिष का नकरात्मक स्वरुप, काला- जादू करने वालों के लिए, तंत्र- के विधान में इसका प्रयोग है। यदि किसी के शत्रु पर अंगकारक दोष हो तब उस पर तंत्र क्रिया सफल होती है। ऐसा देखा गया है की विरोधी के ग्रह योग जानकर उस पर काला- जादू आसानी से कर उसे लोग कष्ट पहुंचा सकते है।
विद्या के स्थान पर अगर यह योग हो तो पढाई में बाधा आती है।व्यक्ति गुस्सैल प्रवृति का हो जाता है। धर और संसार के सुखो से वंचित रह जाता है। व्यक्ति को समय- असमय ऐसी बीमारियाँ घेर लेती है। व्यापारिक जगत की दृष्टि में जिस व्यक्ति को यह योग लग जाता है, वह आर्थिक कारणों से बर्बाद हो सकता। है। वैवाहिक- जीवन छिन्न- भिन्न हो जाता है। यह दोष अकाल मृत्यु का कारण भी होता है।
उपाय
अंगकार दोष एक दृष्टि से क्रूर योग है। यह योग घातक इसलिए है क्योकि जीवन मेहनत करने पर भी बेकार हो जाता है। यदि हम कुंडली की जांच करवा ले तब सटीक उपाय निकल सकता है।
कुछ ज्योतिष के उपाय
राहू शांति पूजा लाभदायक हो सकती है।
कई बार कवच और ताबीज़ भी बनाए जाते है।
मंगल ग्रह की पूजा भी कराई जाती है।
गणेश जी का पूजन भी लाभदायक रहता है।
मंगल और केतू कष्टकारी ग्रह माने गए है। इसी कारण अधिक उर्जा होने से मंगल, एक दुष्ट ग्रह भी माना जाता है।
पूजा विधि-
जिस जातक की कुंडली में, 1, 4, 7, 12,के भाव में मंगल होता है तब ही मंगल दोष लगता है। कभी कभी इस दोष के कारण ऋण मुक्ति नहीं मिलती।
ऐसे में केवल 108 नाम मंगल के और अवंतिका में शिव को भात का लेप लगाकर
पूजन- अर्चन किया जाता है।